Maati Ka Khilauna
अक्सर मिल जाते हैं वो हमें बाज़ारों में, मेलों में या फुटपाथ पर। कभी दुकानों में सजे होते हैं तो कभी यूँ ही एक पुरानी सी चादर बिछाकर बैठ जाते हैं। किसी से कुछ कहते नहीं हैं फिर भी सब की निगाहें उन पर रुक ही जाती हैं, हर कोई एक पल ठहर कर देखता ज़रूर है क्योकि उनके चेहरे की मुस्कान होती ही ऐसी है।
एक रूप नहीं होते अलग - अलग किरदार होते हैं उनके। कभी दूल्हा - दुल्हन,कभी ग्वालिन ,कभी पनहारिन तो कभी बिना संगीत के ही झूमते नज़र आते हैं ,कभी बिना बात के ही सर हिलाते है ,कोई ठिकाना नहीं है उनका, वो राही हैं चलते जाते हैं। कभी - कभी गिरते हैं, कभी सम्भलते हैं, कभी तो बिखर भी जाते हैं। लेकिन उदास नहीं होते ,निराश नहीं होते , कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं पर चेहरे की मुस्कान कभी नहीं खोते हैं। ज़िन्दगी के हर मोड़ पर परिस्थतियाँ कैसी भी हों, हमारे चेहरों पर मुस्कान लाते हैं,हमें जीना सिखाते हैं। इतने जीवन्त होने के बावजूद भी "माटी का खिलौना" कहलाते हैं।
सोनाली सिंह मिश्रा ...
4 Comments
NYC lines mam
ReplyDeletevery nice and creative thinking.... keep it up beta.....
ReplyDeleteby, Anshuman Mishra.... @youtube channel... heritage songs and poetey...
It is very nice, Every thing is saying some things to us, it is depend on us, what we thinks & in which situation we thinks.
ReplyDeleteYupp.... It's so truree.....
ReplyDeleteNd herat touching too