हमेशा प्रकृति कुछ न कुछ ऐसा करती है जिससे कि हर कोई विवश हो जाता है, अपनी प्रत्येक चीज़ को पुनः निर्मित करने के लिए ,और इस प्रकार संसार में पुनः एक परिवर्तन स्थापित हो जाता है। कहते हैं कि परिवर्त…
हमेशा प्रकृति कुछ न कुछ ऐसा करती है जिससे कि हर कोई विवश हो जाता है, अपनी प्रत्येक चीज़ को पुनः निर्मित करने के लिए ,और इस प्रकार संसार में पुनः एक परिवर्तन स्थापित हो जाता है। कहते हैं कि परिवर्त…
जन्मदायिनी के चरणों में , अर्पित तन - मन - धन जीवन। उस देवी की चरण धूल है, मेरे माथे का चन्दन। अपना दूध पिलाकर मुझको, जिस माता ने ताकत दी। ममता की छाया में रखकर , जिसने खूब मोहब्बत दी। जिसकी गोदी में पल …
नमस्कार , ये कविता मेरी कल्पना है, जिसमें आसमान को एक नायक और धरती को एक नायिका के रूप रखा गया है कि अगर आसमान रूपी नायक को अपनी प्रेयषी से कुछ कहना होतो क्या कहेगा ? एक असीम और अनंत प्रेम को प्रदर्शित करन…
जब एक सैनिक की रूह खुदा के पास गयी तो खुदा ने उससे पूछा कि तुम्हें वापस जाना है कोई ख्वाहिश है तुम्हारी तो उस सैनिक ने कहा - मुझे फिर से उसी माँ की गोद देना जिसने मुझे पाल पोषकर मेरी धरती माँ की गोद में छोड़…
हर रोज़ घर के किसी कोने में उलझी हुई सी मिल जाती थी वो जब भी मुझे देखे तो मुस्कुराती थी वो ज़िन्दगी में उसकी न जाने कितनी भी उलझने हों पर मेरे लिए हमेशा सुलझी हुई मिल जाती थी वो जब भी कभी बचपन में ठोकर लगी और …
चारों ओर रंग बिरंगे फूल थे और हल्की - हल्की चलने वाली ठंडी हवा उन फूलों की खुशबू को पूरे आंगन में फैला रही थी ऐसी खुशबू जिससे किसी का भी मन कुछ गाने - गुनगुनाने और नाचने का करने लगे पर ये क्या यहाँ तो विधाता इस सुन्दर और मनमो…
अक्सर मिल जाते हैं वो हमें बाज़ारों में, मेलों में या फुटपाथ पर। कभी दुकानों में सजे होते हैं तो कभी यूँ ही एक पुरानी सी चादर बिछाकर बैठ जाते हैं। किसी से कुछ कहते नहीं हैं फिर भी सब की निगाहें उन पर रुक ही जाती हैं, हर…