नमस्कार ,
ये कविता मेरी कल्पना है, जिसमें आसमान को एक नायक और धरती को एक नायिका के रूप
रखा गया है कि अगर आसमान रूपी नायक को अपनी प्रेयषी से कुछ कहना होतो क्या कहेगा ?
एक असीम और अनंत प्रेम को प्रदर्शित करने की मेरी एक कोशिश है इस कोशिश में मैं कितना सफल हूँ
ये मुझे आपकी प्रतिक्रिया बताएगी।



कहां आसमाँ ने धरती से, आजा हम तुम प्यार करें ,
सारी दुनिया करती है ,हम चाहत का इजहार करें

सबको मिलते देखा है , बस मैं बेबस रह जाता हूं,
जब तेरी याद सताती है, तो आंसू ये पी जाता हूं
अब देर न कर और आ भी जा हम भी बातें दो - चार करें

सारी दुनिया करती है ,हम चाहत का इजहार करें
कभी-कभी यह तन्हाई मुझको बहुत सताती है,
फिर आती है याद तेरी और वह भी मुझे रुलाती है
मेरे पास तू आ ,अब ना तड़पा ,हम भी ये आंखें चार करें

सारी दुनिया करती है हम चाहत का इजहार करें
तुझको छूकर ये मस्त पवन तेरे पास से मुझ तक आती है
हर एक पल, हर सांस में, वो एहसास तेरा दे जाती है
है आस तेरे मिलने की सनम सब एक दूजे निसार करें

सारी दुनिया करती है हम चाहत का इजहार। .... आ प्यार करें।


सोनाली सिंह मिश्रा