मेरे माथे का चन्दन
जन्मदायिनी के चरणों में , अर्पित तन - मन - धन जीवन।
उस देवी की चरण धूल है, मेरे माथे का चन्दन।
अपना दूध पिलाकर मुझको, जिस माता ने ताकत दी।
ममता की छाया में रखकर , जिसने खूब मोहब्बत दी।
जिसकी गोदी में पल करके , गुजरा है मेरा बचपन।
उस देवी की चरण धूल है, मेरे माथे का चन्दन।
इस समाज में रहने लायक, मुझे बनाया माँ ने ही।
वरना सारी दुनिया मुझको , देती केवल ताने ही।
जिसने प्रथम शिक्षिका बनकर , सिखलाया जीवन दर्शन।
उस देवी की चरण धूल है, मेरे माथे का चन्दन।
वात्सल्य की दिव्य ज्योति से ,जीवन - तम हरती है माँ।
सन्तानों के सुख के खातिर , हर प्रयत्न करती है माँ।
जिसके कदमों में जन्नत है ,रोम -रोम जिसका पावन।
उस देवी की चरण धूल है, मेरे माथे का चन्दन।
उमेश वर्मा
महमूदाबाद, सीतापुर
1 Comments
डिअर बिटिया,ब्लॉग पर मेरी कविता पब्लिश करने के लिए आभार।
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