सैनिक की ख्वाहिश
जब एक सैनिक की रूह खुदा के पास गयी तो
खुदा ने उससे पूछा कि तुम्हें वापस जाना है कोई ख्वाहिश है तुम्हारी
तो उस सैनिक ने कहा -
मुझे फिर से उसी माँ की गोद देना जिसने मुझे पाल पोषकर
मेरी धरती माँ की गोद में छोड़ दिया उसकी सेवा करने के लिए
मुझे फिर से वही पिता देना जिसने मुझे हमेशा यही सिखाया
कि मातृभूमि की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं
फिर से वही बहन देना जो हर साल मेरे लिए राखियाँ सँजोकर रखे
और मेरी लम्बी उम्र की दुवाएँ करे ताकि मैं निरंतर अपने देश की सेवा करता रहूँ
ऐसा हमसफ़र देना जो अपने प्यार की परवाह किये बगैर
मुझे हर पल साहस दे ताकि मैं कभी रुकूँ नहीं
वो आंख देना जोअपनों के छलक जाएँ पर
दुश्मनों के लिए हमेशा क्रोधग्नि से भरी रहें
वो आवाज़ देना जिसमें अपनों किए लिए सम्मान
और दुश्मनों के लिए ललकार हो
वो हाथ देना जो हमेशा अपनों की मदद के लिए उठें
और दुश्मनों को हमेशा मृत्युदान दें
वो कदम जो हमेशा दुश्मनों को रौन्दने के लिए बेक़रार रहें
वो हिम्मत ,वो हौसला ,वो जूनून जो कभी कम न हो
इतना लहू देना इन रगों में कि इसके आखरी कतरे तक मैं देश की सेवा करता रहूँ।
ये ज़िंदगी मुझे एकबार नहीं हर बार देना
वही माँ , वही चमन ,वही मेरा अपना वतन।
देश के सभी सैनिकों को समर्पित
सोनाली सिंह मिश्रा। ...
सोनाली सिंह मिश्रा। ...
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